ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने शनिवार को एक लेख में ग्लोबलाइजेशन का दौर खत्म हो जाने की बात कही है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज वे देश के नाम संबोधन देंगे, जिसमें वे ग्लोबलाइजेशन के खत्म होने का ऐलान करेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टार्मर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ लगाने के फैसले से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइजेशन अब बहुत से लोगों को कोई फायदा नहीं पहुंचा पा रहा है।
स्टार्मर ने स्वीकार किया कि इसके बाद कॉम्पटीशन बढ़ेगा और दुनियाभर में डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ाने के प्रयास शुरू होंगे। ट्रम्प ने 2 अप्रैल को कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था। इसकी दुनियाभर में आलोचना हो रही है।
सिंगापुर पीएम बोले- ग्लोबलाइजेशन का दौर खत्म हुआ
सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने शनिवार को कहा कि ग्लोबलाइजेशन और फ्री ट्रेड का दौर अब खत्म हो चुका है। अब दुनिया एक नए युग में जा रही है, जो खतरनाक होने वाला है।
वोंग ने चेतावनी दी कि टैरिफ से वर्ल्ड इकोनॉमी को नुकसान पहुंच सकता है और यह एक बड़े ट्रेड वॉर को जन्म दे सकता है। उनका मानना है कि इससे सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ समस्या का सिंगापुर जैसे छोटे और व्यापार पर निर्भर देशों पर ज्यादा असर पड़ेगा।
सिंगापुर पर सबसे कम टैरिफ, फिर भी सबसे ज्यादा असर
ट्रम्प ने सिंगापुर पर 10% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। बाकी देशों की तुलना में यह बहुत कम है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे सिंगापुर पर काफी असर पड़ेगा क्योंकि यह देश पूरी तरह से वर्ल्ड ट्रेड पर निर्भर है।
ट्रम्प के टैरिफ जैसे चीन पर 54%, वियतनाम पर 46% और भारत पर 26% दुनिया भर में ग्लोबल ट्रेड की रफ्तार को कम कर सकते हैं। अगर इन देशों का व्यापार कम होगा, तो सिंगापुर की शिपिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भी कम काम मिलेगा, क्योंकि सिंगापुर इनके लिए एक बड़ा केंद्र है।
अगर कंपनियों को कम पैसा मिलेगा, तो वे नई नौकरियां नहीं देंगी या कुछ लोगों को निकाल सकती हैं। साथ ही, सामान की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे सिंगापुर में रहने का खर्च बढ़ेगा।
ग्लोबलाइजेशन को आसान भाषा में समझिए…
ग्लोबलाइजेशन का मतलब है दुनियाभर के देशों के बीच एक-दूसरे से जुड़ना और मिल-जुलकर कारोबार करना। पहले हमारे पास सिर्फ अपनी देशी चीजें होती थीं। बाहर के देशों के सामान आते भी थे तो हाई टैक्स की वजह से उनकी पहुंच आम आदमी से दूर थी।
साल 1991 में सोवियत यूनियन के पतन के बाद दुनिया में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत हुई। दुनिया ने विदेशी बाजार के लिए दरवाजे खोले। सामानों पर टैक्स कम किया। इससे दुनिया एक बड़े बाजार की तरह बन गई। लोगों को घर के पास ही विदेशी चीजें सस्ती कीमत पर मिलने लगीं।
जब दुनिया के देश एक-दूसरे से जुड़े तो व्यापार बढ़ा। इससे बहुत सारे नए रोजगार और नौकरियां पैदा हुईं। पिछला 3 दशक ग्लोबलाइजेशन के लिए सुनहरा वक्त था। लेकिन अब ट्रम्प ने विदेशी सामानों पर टैरिफ लगा दिया है। उनका मकसद अमेरिका के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और विदेशी खासकर चीन जैसे देशों से आने वाले सस्ते सामानों पर नियंत्रण पाना है।
उनका मानना है कि इससे अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षा मिलेगी और अमेरिका का व्यापार घाटा कम होगा।